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केन्द्र और राज्य सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ वाम जनवादी दलों का जन-कन्वेंशन

     प्रयागराज वामपंथी-जनवादी दलों, क्रमशः भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन तथा लोकतांत्रिक जनता दल ने केन्द्र और राज्य सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ दिनांक 25 जुलाई को जॉनसेनगंज स्थित भाकपा कार्यालय में एक जन-कन्वेंशन आयोजित की। कन्वेंशन में वक्ताओं ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार की कॉरपोरेट परस्त तथा जनविरोधी नीतियों के चलते मंहगाई और बेरोज़गारी की स्थिति भयानक होती जा रही है। पेट्रोल-डीज़ल से लेकर आटा, दाल, चावल, टमाटर हर चीज की कीमतें आसमान छू रही हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए तो लोगों को कर्ज़ तक लेना पड़ जाता है। आम गरीब मेहनतकश तो दूर, एक मध्यमवर्गीय परिवार के लिए भी परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है। बेरोज़गारी की स्थिति भी बद से कदतर होती जा रही है। रेलवे से लेकर बिजली तक हर क्षेत्र में, यहां तक कि अग्निपथ योजना लाकर सेना तक में ठेके पर भर्ती हो रही है।


इलाहाबाद में डीजल बसें बंद कर दी गईं हैं। इससे दूर-दराज़ के गांवों में जो एक-दो बसें चलती थीं, वे भी बंद हो गईं तथा बसों के ड्राईवर, कण्डक्टर बेरोज़गार हो गये हैं। 6 महीने से लगातार आन्दोलनरत चालकों, परिचालकों के समायोजन के लिए सरकार तैयार नहीं है। वहीं दूसरी ओर सरकार काॅरपोरेट घरानों के बड़े-बड़े कर्ज़ माफ करके, कॉरपोरेट टैक्स को कम करके तथा उन्हें सार्वजनिक सम्पत्तियां, जहाज़, हवाई अड्डे, बंदरगाह, रेल, पटरियां, बस स्टेशन, ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियां, कोयले की खदानें समेत विभिन्न क्षेत्रों को औने-पौने दामों में बेचकर उनके पक्ष में खड़ी है। अड़ानी प्रकरण सरकार के कॉरपोरेट-परस्त चरित्र को बेनकाब करता है। सरकार के संरक्षण में कानून व्यवस्था चैपट है तथा अपराधी बेखौफ हैं। इलाहाबाद, महोबा, बलिया में पुलिस कस्टडी में हत्या होती है तो लखनऊ में कोर्ट के भीतर हत्या होती है। कुलदीप सिंह सेंगर, चिन्मयानन्द, बिल्कीस बानो, हाथरस पीड़िता, कठुआ पीड़िता से लेकर ब्रजभूषण सरन सिंह तक के मामले दर्शाते हैं कि सरकार यौन अपराधियों के पक्ष में मज़बूती से खड़ी है। हाल के मणिपुर की शर्मनाक घटना दर्शाती है कि सरकार और प्रधानमंत्री किस हद तक संवेदनशून्य है। महिलाओं को निर्वस्त्र किये जाने के शर्मनाक वीडियो के आने तक न तो वहां इस भयानक अपराध की कोई गिरफ्तारी हुई थी, न ही प्रधानमंत्री के मुंह से एक भी शब्द निकला था। आज भी प्रधानमंत्री संसद के भीतर इस पर वक्तव्य देने के लिए तैयार नहीं। सरकार लगातार साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दे रही है। मीडिया दिन-रात नफरती बहसें परोसती रहती है। अल्पसंख्यकों पर हमले तेज़ हो रहे हैं। उत्तराखण्ड में हिन्दू महापंचायत से पहले मुसलमानों को उत्तराखण्ड छोड़कर जाने को कहा गया। जनतंत्र पर लगातार हमला हो रहा है। विश्वविद्यालय के छात्र आशुतोष दुबे की मौत पर प्रशासन की जवाबदेही तय करने के बजाय उसकी मौत और प्रशासनिक संवेदनशून्यता के खिलाफ आन्दोलनरत छात्रों को जेल भेज दिया गया। मणिपुर के सवाल पर प्रदर्शन करने पर आइसा नेता मनीष को निलम्बित कर दिया गया। सरकार अपराधियों के बजाय प्रदर्शनकारियों पर सख़्ती दिखा रही है। इन्हीं सवालों पर वामपंथी जनवादी दल 11 अक्टूबर को लखनऊ में रैली करेंगे। कन्वेंशन की अध्यक्षता भाकपा के आनंद मालवीय तथा संचालन भाकपा के जिला मंत्री नसीम अंसारी ने किया। कन्वेंशन में माकपा राज्य सचिवमण्डल सदस्य रवि मिश्रा, जिला मंत्री अखिल विकल्प, लोकतांत्रिक जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष ज़ुबैर अहमद, भाकपा माले के जिला प्रभारी सुनील मौर्या, सिद्धेश्वर मिश्रा, देवानंद, संतोष, रामसिया, प्रीतम,अनिरुद्ध, परवेज़, एड माता प्रसाद, एड चंद्रपाल, मुस्तकीम, विकास, अनिरुद्ध, मुन्नी लाल, ओबामा, अविनाश, धर्मेंद्र, शीतला, सुमेर, सूफियान, आदि लोग शामिल थे।

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