मेला विकास प्राधिकरण द्वारा संगम क्षेत्र में स्थित मलिन बस्ती को खाली कराकर पार्किंग बनाने की नोटिस को रुकवाने तथा गरीबों की बस्ती को बचाये रखने के लिए पूर्व विधायक अनुग्रह नारायण सिंह के नेतृत्व में मेला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया।
प्रयागराज। दिनांक 3/11/2023 को 12 बजे माघ मेला प्राधिकरण को संगम क्षेत्र में गरीबों के आशियाने को उजड़ने से बचाने व माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा दिए गए आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराने के संबंध में पूर्व विधायक अनुग्रह नारायण सिंह के नेतृत्व में मेला प्राधिकरण कार्यालय में मेला अधिकारी श्री विवेक चतुर्वेदी से मिलकर माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा पारित आदेश सहित ज्ञापन दिया है ज्ञापन के माध्यम से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता प्रबल प्रताप सिंह, शिवसेवक सिंह वरिष्ठ पार्षद समाजसेविका अनुराधा, ओम प्रभात, चंदन निषाद, रघुनाथ निषाद सहित बस्ती के करीब तीन सौ लोगों ने मिलकर ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के माध्यम से मेला अधिकारी को अवगत कराया गया कि
इलाहाबाद राष्ट्रीय नदी गंगा व यमुना के संगम पर स्थित है। दिनांक 31 सितम्बर, 2014 को वर्तमान केन्द्र सरकार ने अमेरिका के सहयोग से इसको स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की है। संगम के आसपास लगभग 1500 गरीब परिवार निवासित हैं। यह अस्थायी रूप से झोपड़ियों में रहते हैं। नागरिक सुविधाओं का भारी अभाव है।
संगम क्षेत्र मलिन बस्ती संघ बनाम केन्द्र सरकार रक्षा विभाग, उ०प्र० सरकार, मुख्य सचिव, कुंभ मेला अधिकारी आदि की याचिका में मा० उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में अपने अंतिम निर्णय में यहां पर निवासित गरीबों को केन्द्र व राज्य सरकार, उ०प्र० को पूर्ण पुनर्वासन कराने का आदेश दिया है (संलग्नक 1,2,3)। इस आदेश के विरुद्ध केन्द्र या राज्य सरकार ने मा० सर्वोच्च न्यायालय में कोई भी अपील नहीं की। समयावधि बीत गयी है। अब यह आदेश अंतिम है।
रक्षा विभाग, इलाहाबाद के पास बहुत सारी भूमि है। ओल्ड कैण्ट, 29 चैथम्स लाइन्स, बघाड़ा में अभी रक्षा संपदा विभाग ने लगभग 23 एकड़ भूमि प्राप्त की है, जिस पर संपूर्ण लोगों हेतु केन्द्र व राज्य सरकार आवास बनाकर पुनर्वासन कराकर मा० न्यायालय के आदेश का अनुपालन करा सकता है, किन्तु अभी तक यह संभव नहीं हो सका है। ज्ञात हुआ है कि दश्वासमेध घाट आदि दारागंज में पक्के घाटो का निर्माण होना है। इसमे यहाँ पर निवासित कई गरीब परिवार विस्थापित होंगे। इनके आवास तथा जीविका का साधन यही है। इनके पुर्नवासन की स्थायी व्यवस्था कराने के उपरांत ही यहाँ से इनका विस्थापन न्यायोचित होगा।
जिसमें मेला विकास प्राधिकरण के अधिकारी ने यह आश्वासन दिया है की माननीय न्यायालय के आदेश को ध्यान में रखते हुए बिना पुनर्वासन कराए बस्ती को नहीं खाली कराया जाएगा।