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न्याय, स्वतंत्रता, समानता, और भ्रातृत्व भारतीय संविधान के मूल आधार है

प्रयागराज। भारतीय संविधान एक लोक-कल्याणकारी व जन-हितकारी राज्य (शासन) की स्थापना करना चाहता है, जिसका आधार है न्याय, स्वतंत्रता, समानता एवं भ्रातृत्व। यह प्रत्येक नागरिक को एक मनुष्य के रूप मे देखता है, भेदभाव तथा शोषण को मिटाता है। प्रस्तावना मे संविधान के उच्च आदर्शों और भावी समाज का चित्रण अंकित किया गया है। संविधान मनुष्य-निर्मित भेदभावों और असमानताओं को मिटाता है।

       नागरिकों के बीच धर्म, वंश, लिंग और जन्म-स्थान के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव नही किया जायेगा। मौलिक अधिकारों का परिगणन तथा उनकी रक्षा की व्यवस्था लोक-कल्याणकारी व जन-हितकारी राज्य (शासन) की स्थापना की दिशा मे महत्वपूर्ण कदम है।

राजनीतिक एवं सामाजिक न्याय के अतिरिक्त आर्थिक न्याय की ओर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है। नर-नारियों को जीविका के साधन प्राप्त करने का अधिकार, पुरूषों और स्त्रियों को समान कार्य के लिए समान वेतन, नागरिको को मानवोचित रूप से कार्य करने का अवसर इत्यादी प्रमुख है उक्त बातें रविवार को प्रबुद्ध फाउंडेशन के प्रबन्धक उच्च न्यायालय के अधिवक्ता आईपी रामबृज यमुनापार की तहसील बारा के विकासखंड जसरा स्थित ग्रामसभा बुदावां, तातारगंज, जसरा  में संचालित प्रबुद्ध पाठशाला के निरीक्षण के दौरान कही। छोटे छोटे बच्चों को जो संस्कार दिया जाएगा आगे चलकर यही संस्कार इन्हें सफलता के उच्चतम शिखर पर पहुंचायेगे।

    पाठशाला के निरीक्षण के दौरान सुमित्रा, मुन्नी, बविता, मकूला, सुमन, मनोजा, साधुरी, उपाध्या, संगीता, राजकली, शकुन्तला, उर्मिला, अंगूरा, सुनीता, मीरा, मंजू देवी के साथ सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।

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