प्रयागराज। भारतीय संविधान एक लोक-कल्याणकारी व जन-हितकारी राज्य (शासन) की स्थापना करना चाहता है, जिसका आधार है न्याय, स्वतंत्रता, समानता एवं भ्रातृत्व। यह प्रत्येक नागरिक को एक मनुष्य के रूप मे देखता है, भेदभाव तथा शोषण को मिटाता है। प्रस्तावना मे संविधान के उच्च आदर्शों और भावी समाज का चित्रण अंकित किया गया है। संविधान मनुष्य-निर्मित भेदभावों और असमानताओं को मिटाता है।
नागरिकों के बीच धर्म, वंश, लिंग और जन्म-स्थान के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव नही किया जायेगा। मौलिक अधिकारों का परिगणन तथा उनकी रक्षा की व्यवस्था लोक-कल्याणकारी व जन-हितकारी राज्य (शासन) की स्थापना की दिशा मे महत्वपूर्ण कदम है।
पाठशाला के निरीक्षण के दौरान सुमित्रा, मुन्नी, बविता, मकूला, सुमन, मनोजा, साधुरी, उपाध्या, संगीता, राजकली, शकुन्तला, उर्मिला, अंगूरा, सुनीता, मीरा, मंजू देवी के साथ सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।