Type Here to Get Search Results !

Advertisement

संविधान सभी को बराबर मानता है: आर.बी. गौतम

     प्रयागराज। भारतीय संविधान पूरी दुनिया में शायद इकलौता ऐसा संविधान है जिसका सीधा टकराव अपने ही सामाजिक मूल्यों से रहा है। जैसे हमारा संविधान सभी को बराबर मानता है लेकिन समाज एक दूसरे को छोटा-बड़ा मानता है। संविधान हुआछूत को अपराध मानता है लेकिन समाज उसे अपनी प्यूरिटी को बचाये रखने के लिए ज़रूरी मानता है। 

    संविधान वैज्ञानिक सोच विकसित करने की बात करता है लेकिन समाज कर्मकांड को अपना प्राण मानता है। इसतरह हम कह सकते है कि सभी तरह के जातीय, साम्प्रदायिक और लैंगिक संघर्ष में शामिल लोग संविधान के दोनों छोर पर पाए जाने वाले लोग हैं और ये संघर्ष दरअसल संविधान को न मानने और मानने वालों के बीच का ही संघर्ष है उक्त बातें बसपा के जिला कार्यकारिणी सदस्य उच्च न्यायालय के अधिवक्ता रामबृज गौतम ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कही।

संविधान सभी को बराबर मानता है: आर.बी. गौतम

  गौतम ने बताया कि हिंसा के शिकार दलित चाहते हैं कि उनको संविधान प्रदत अधिकार मिले और हमलावर चाहते है कि उन्हें दलितों को पीटने का संविधानपूर्व का पारंपरिक अधिकार अभी भी मिलना जारी रहे। इसीतरह साम्प्रदायिक हिंसा के शिकार मुसलमान चाहते है कि देश संविधान मैं वर्णित धर्मनिरपेक्ष मूल्यों से चले लेकिन उनके हमलावर चाहते हैं कि देश संविधान विरोधी संघ के इशारे पर चले। 

   इसतरह, हम एक राष्ट्र के बतौर पिछले 70 साल से संविधान को उखाड़ने और लागू करने की लड़ाई लड़ रहे हैं। दुनिया के किसी भी दूसरे देश में संविधान को लेकर इतना तीखा और लम्बा संघर्ष फिलहाल कहीं नहीं चल रहा है। गौतम ने बताया कि समतामूलक संविधान देने वाले डा. अम्बेडकर का सम्मान तो उनके सहयोगी करते इस दौरान बहुत से यात्री इसमें से उसमें और उसमें से इसमें भी आएंगे जाएंगे। खूब लिहो लिहो भी होगा। पता नहीं कौन कहीं और क्यों पहुंचेगा लेकिन यात्रा मजा देगी जैसे ये देश मजा देता है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Hollywood Movies