प्रयागराज। सिर पर गठरी, हाथों में झोला और हाथों में समूह के संकेतक के रूप में ध्वज लिए श्रद्धालुओं का रेला सोमवार को संगम पर उमड़ पड़ा। थरथराती सुबह भी आस्था के कदमों को नहीं डिगा सकी। लोग अपनों का हाथ थामे लपकते हुए बढ़ते रहे। संगम जाने वाले सभी मार्गों पर लंबा कारवां चल पड़ा। मेला प्रशासन ने सुबह १० बजे तक ८.७० श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने का दावा किया। प्रथम पुण्य की डुबकी के साथ ही ५४ दिवसीय माघ मेले का आरंभ हो गया।
मकर संक्रांति पर गंगा, यमुना, अदृश्य सरस्वती की लहरों में पुण्य की डुबकी लगाने का उत्साह देखते बना। संतों की टोलियां भजन-कीर्तन करते हुए निकलीं, तो श्रद्धालु जय श्रीराम और मां गंगा के जयकारे लगाते हुए संगम पर पहुंच रहे थे। मकर संक्रांति को लेकर दूसरे राज्यों से निकले श्रद्धालुओं ने रविवार की भोर से ही संगम में डुबकी लगानी शुरू कर दी। भोर में आस्था पथ पर भक्ति की लहरें हिलोरें मारने लगीं। भगवान सूर्य के उत्तरायण होने का लोगों ने इंतजार नहीं किया।
कोहरे के बीच कंपकंपी छुड़ाती सुबह मेंंकोहरे की वजह से संगम क्षेत्र में कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। बावजूद इसके संंगम स्नान के लिए सिर पर गठरी लिए निकले श्रद्धालुओं का तांता लग गया। काली मार्ग हो या फिर त्रिवेणी मार्ग। हर तरफ से पड़ोसी राज्य के अलावा पूर्वांचल के गांवों, कस्बों से पहुंचे श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी की पावन धारा में गोता लगाना शुरू कर दिया। संगम नोज पर सर्वाधिक भीड़ रही। कोई लेटते हुए पहुंच रहा था तो कोई ढोल-नगाड़े के साथ नाचते-कीर्तन करते हुए।
माघ मेले के प्रथम स्नान पर्व की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। संतों-भक्तों के स्वागत के लिए मेला प्रशासन पूरी तरह से तैयार है। मेले में आने वाले किसी श्रद्धालु को परेशानी का सामना न कराना पड़े, इसके लिए सभी प्रबंध किए गए हैं।माघ मेले के प्रथम स्नान पर्व मकर संक्रांति के अवसर पर सुबह लगभग १२५०००० लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई। मेला क्षेत्र की कुल १२५ सीसीटीवी कैमरों से हो रही निगरानी, पुलिस के साथ ही आरएएफ को भी तैनात किया गया है। संगम में जल पुलिस के साथ ही पीएसी फ्लड कंपनी और एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की दो टीमों के साथ ९५ प्राइवेट गोताखोरों को भी अलग-अलग घाटों पर किया गया है।